संक्रांति शुभ हो तुम्हारे लिए
रिश्ते में गुड़ बना रहे तिल भर गम ना छू सके
पतंगों-सा मन मेरा उड़ता रहे तुम्हारे लिए
मेरे मन के आकाश पर तम्हारे प्रेम का आदित्य उत्तरायन हो
तुम्हारे मन के मैदान में मेरी खुशियों की गिल्ली उछलती रहे
सतरंगी संक्रांति साकार हो हमारे लिए