मेरे दर्द ने मेरे ज़ख्मों से शिकायत की है,
आँसुओं ने मेरे सब्र से बगावत की है,
ग़म मिला है तेरी चाहत के समंदर में,
हाँ मेरा जुर्म है कि मैंने मोहब्बत की है।
Log Banaate Gye?
Hum Bantay Gye?
Kabhi Mazak?
Kabhi Tamasha?
Ishq Teray Baad Kisi Say Hua Hi nahi,
Aaye To Bohot Thay Apna Jism Laykar,
Par Teri Kasam Kisi Ko Chua Hi Nahi...
JINDAGI me kabhi apne kisi
HUNAR pr GHAMAND mt krna,
qki PATTHAR jb pani me girta hai to
apne hi VAJAN se doob jata h..
चल मेरे हमनशीं अब कहीं और चल,
इस चमन में अब अपना गुजारा नहीं,
बात होती गुलों तक तो सह लेते हम,
अब काँटों पे भी हक हमारा नहीं।
होंठो की जुबान यह आँसू कहते है
जो चुप रहते है फिर भी बहते है
और इन आँसू की किस्मत तो देखिये
यह उनके लिए बहते है जो इन आँखों में रहते है