चल मेरे हमनशीं अब कहीं और चल,
इस चमन में अब अपना गुजारा नहीं,
बात होती गुलों तक तो सह लेते हम,
अब काँटों पे भी हक हमारा नहीं।
अपने हसीन होंठों को किसी परदे में छुपा लिया करो,
हम गुस्ताख लोग हैं नज़रों से चूम लिया करते हैं........!!!
मेरे दर्द ने मेरे ज़ख्मों से शिकायत की है,
आँसुओं ने मेरे सब्र से बगावत की है,
ग़म मिला है तेरी चाहत के समंदर में,
हाँ मेरा जुर्म है कि मैंने मोहब्बत की है।
होंठो की जुबान यह आँसू कहते है
जो चुप रहते है फिर भी बहते है
और इन आँसू की किस्मत तो देखिये
यह उनके लिए बहते है जो इन आँखों में रहते है