प्रताप का सिर कभी नहीं झुका,
इस बात से अकबर भी शर्मिंदा था,
मुगल कभी चैन से सो न सके
जब तक मेवाड़ी राणा जिन्दा था.
महाराणा प्रताप जैसे वीर हर हिन्दुस्तानी को प्यारा हैं,
मेवाड़ी सरदार के चरणों में शत-शत नमन हमारा हैं.
शत-शत नमन उस मेवाड़ी प्रताप को
जो अपने भाले से दुश्मनों को मारे थे,
मातृभूमि की स्वतन्त्रता के खातिर
कई वर्ष जंगल में गुजारे थे.
वीरों के साथ ही वीर रहते हैं,
राणा के घोड़े को चेतक कहते हैं.
साहस का प्रतीक नीले घोड़े पर सवार,
वीरता का प्रतीक मेरा मेवाड़ी सरदार.
ये हिन्द झूम उठे गुल चमन में खिल जाएँ,
दुश्मनों के कलेजे नाम सुन के हिल जाएँ,
कोई औकात नहीं चीन-पाक जैसे देशों की
वतन को फिर से जो राणा प्रताप मिल जाएँ.
महाराणा प्रताप के शौर्य को शत-शत वंदन हैं,
धन्य है राजस्थान जिसका माटी भी चंदन हैं.
हर हिन्दुस्तानी को महाराणा प्रताप जैसा बनना चाहिए,
मातृभूमि की सेवा के लिए तन-मन-धन से तैयार रहना चाहिए.
इकबाल था बुलंद, उसे धूल कर दिया,
मद जिसका था प्रचंड, सारा दूर कर दिया,
राणा प्रताप एकमात्र, ऐसे वीर थे
अकबर का सब घमंड, जिसने चूर कर दिया.
सबसे बड़ा पाप है अन्याय को सह जाना,
वीरों को शोभा नहीं देता चुप रह जाना.
सूरज का तेज भी फीका पड़ता था, जब राणा तू अपना मस्तक ऊँचा करता था
थी राणा तुझमें कोई बात निराली इसलिए अकबर भी तुझसे डरता था
धन्य हुआ रे राजस्थान,जो जन्म लिया यहां प्रताप ने
धन्य हुआ रे सारा मेवाड़, जहां कदम रखे थे प्रताप ने
हे प्रताप मुझे तु शक्ती दे, दुश्मन को मै भी हराऊंगा
मै हु तेरा एक अनुयायी, दुश्मन को मार भगाऊंगा
था साथी तेरा घोड़ा चेतक, जिस पर तु सवारी करता था
थी तुझमे कोई खास बात, कि अकबर तुझसे डरता था
ये हिन्द झूम उठे गुल चमन में खिल जाएँ
दुश्मनों के कलेजे, नाम सुन के हिल जाएँ
वतन को फिर से जो राणा प्रताप मिल जाएँ
करता हुं नमन मै प्रताप को, जो वीरता का प्रतीक है
तु लोह-पुरुष तु मातॄ-भक्त, तु अखण्डता का प्रतीक है
जब-जब तेरी तलवार उठी, तो दुश्मन टोली डोल गयी
फीकी पड़ी दहाड़ शेर की, जब-जब तुने हुंकार भरी
आगे नदिया पड़ी अपार
घोड़ा कैसे उतरे उस पार,
राणा ने सोचा इस पार
तब तक चेतक था उस पार.