वतन की खाक जरा एड़ियां रगड़ने दे, 

मुझे यकीन है पानी यहीं से निकलेगा

लहू वतन के शहीदों का रंग लाया है, 

उछल रहा है जमाने में नाम-ए-आजादी

भरी जवानी में अपनी मां के चरणों में, 

कर दिया अपने प्राणों का समर्पण,


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