ऐ मातृभूमि तेरी जय हो, सदा विजय हो,
प्रत्येक भक्त तेरा, सुख शांति कांतिमय हो।
किसी गजरे की खुशबू को महकता छोड़ आया हूं,
मेरी नन्ही-सी चिड़िया को चहकता छोड़ आया हूं।
मुझे छाती से अपने तू लगा लेना ऐ भारत मां,
मैं अपनी मां की बांहों को तरसता छोड़ आया हूं।
विजय दिवस की शुभकामनाए
देशभक्तो के बलिदान से
स्वतंत्र हुए है हम
कोई पूछे कौन हो
तो गर्व से कहेंगे भारतीय है हम
विजय दिवस की शुभकामनाएं
मिटा दिया है वजूद उनका
जो भी इनसे भिड़ा है,
देश की रक्षा का संकल्प लिए
जो जवान सरहद पर खड़ा है
गबाजी इस आतंक की बेरंग होनी चाहिए,
हो गया आगाज़, बस अब जंग होनी चाहिए
छिन गये हैं लाल कितने भारत मां की गोद से,
कोख पाकिस्तान की भी तंग होनी चाहिए।
विजय दिवस पर शहीदों को नमन, जय हिन्द जय भारत।
आओ झुक कर सलाम करें उनको,
जिनके हिस्से में ये मुकाम आता है
खुशनसीब होता है वो खून,
जो देश के काम आता है|
देश के शहीदों को नमन, जय हिन्द जय शहीद !!
हम अपने खून से लिखेंगे कहानी ऐ वतन मेरे
करे कुर्बान हंस कर ये जवानी ऐ वतन मेरे
दिली ख्वाइश नहीं कोई मगर ये इल्तजा बस है
हमारे हौसले पा जाये मानी ऐ वतन मेरे
विजय दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं
नहीं सिर्फ जश्न मनाना, नहीं सिर्फ झंडे लहराना
ये काफी नहीं है वतन पर, यादों को नहीं भुलाना
जो कुर्बान हुए उनके लफ़्ज़ों को आगे बढ़ाना
खुद के लिए नही ज़िन्दगी वतन के लिए लुटाना
ये बात हवाओं को बताये रखना
रोशनी होगी चिरागों को जलाये रखना
लहू देकर जिसकी हिफाज़त हमने की
ऐसे तिरंगे को सदा दिल में बसाये रखना
विजय दिवस की हार्दिक बधाई
मुझे तन चाहिए न धन चाहिए
बस अमन से भरा ये वतन चाहिए
जब तक जिंदा रहूँ इस मात्रभूमि के लिए
और जब मरू तो तिरंगा कफ़न चाहिए
उनके हौसले का भुगतान क्या करेगा कोई
उनकी शहादत का क़र्ज़ देश पर उधार है
आप और हम इस लिए खुशहाल हैं क्योंकि
सीमा पे सैनिक शहादत को तैयार हैं
आज सलाम है उन वीरो को
जिनके कारण ये दिन आता है
वो माँ खुशनसीब होती है
बलिदान जिनके बच्चो का
देश के काम आता है
हैप्पी विजय दिवस
दिल में हौसलों का तेज और तूफान लिए फिरते हैं,
आसमान से ऊंची हम अपनी उड़ान लिए फिरते हैं,
वक्त क्या आजमाएगा हमारे जोश और जुनून को,
हम तो मुठ्ठी में अपनी जान लिए फिरते हैं
वतन की खाक जरा एड़ियां रगड़ने दे,
मुझे यकीन है पानी यहीं से निकलेगा
लहू वतन के शहीदों का रंग लाया है,
उछल रहा है जमाने में नाम-ए-आजादी
भरी जवानी में अपनी मां के चरणों में,
कर दिया अपने प्राणों का समर्पण,