जग जननी हूं, जग पालक हूं।

मैं नारी हूं, न किसी से हारी हूं।।

निःशेष लोक जन्मा मेरे उर से

फिर भी मैं ही कोख में मारी हूं।।

जग जननी हूं, जग पालक हूं,

मैं नारी हूं, न किसी से हारी हूं।।


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