“मैंने स्वप्न देखा कि जीवन आनंद है.

मैं जागा और पाया कि जीवन सेवा है.

मैंने सेवा की और पाया कि सेवा में ही आनंद है.”

- रबीन्द्रनाथ ठाकुर


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