होठ खामोश थे सिसकियाँ कह गयी,

द्वार बंद थे खिड़कियाँ कह गयी,

कुछ हमने कहा कुछ हिंदी कह गयी,

जो न कह पायें वो हिचकियाँ कह गयी.

हिंदी दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ

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