मैं रूठी तो जग रूठा,

अगर मेरे सब्र का बांध टूटा,

नहीं बचेंगा कोई,

मेरे साथ अगर अन्याय करोंगे,

तो न्याय कहां से पाओंगे,

कभी बाढ़ तो कभी सुखा,

और भूकंप जैसी आपदा सहते जाओंगे,

धरती की बस यहीं पुकार,

मत उजाड़ों मेरा संसार…!!

पृथ्वी दिवस की शुभकामनाएं

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