मेरे शरीर से आती है वतन की मिट्टी की खुशबु,

 दुश्मन को चटाता हूं धूल,

 आसमान को भी भर लूं मुठ्ठी में,

 मैं रेगिस्तान में भी खिला दूं फूल

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