आज अपने देश को आवशयकता है – 

लोहे के समान मांसपेशियों और वज्र के समान स्नायुओं की। 

हम बहुत दिनों तक रो चुके, 

अब और रोने की आवश्यकता नहीं, 

अब अपने पैरों पर खड़े होओ और मनुष्य बनो।


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