वो सिलसिले वो शौक वो ग़ुरबत न रही,
फिर यूँ हुआ के दर्द में शिद्दत न रही,
अपनी ज़िन्दगी में हो गए मसरूफ वो इतना,
कि हम को याद करने की फुर्सत न रही।
आग सूरज में होती है, जलना ज़मीन को पड़ता है … मोहब्बत निगाहें करती है, तड़पना दिल को पड़ता है !