जिस शहर में तुम्हें मकान कम और शमशान ज्यादा मिलें
समझ लेना वहां किसी ने pahadi से आँख मिलाने की जुर्रत की है
सौदा नी ब्योपार नी।
यु नकद नी उधार नी।
माया बस माया होंदी
माया कैकि भी चार नी।।
ख्याल त्येरू मैं दगडी दिन रात रेंदू.
मन ब्वोदू हाथों माँ त्येरू हाथ चेंदू.
जिकुड़ी करदी धड़क धड़कब मिलली त्येरी एक झलक.
त्येरी मुखडी द्येखी ही त औंदी
म्येरी मुखड़ी मां चमक धमक.त्वे मिलण कु मनमा भारी कबलाट रेंदू.
ख्याल त्येरू मैं दगडी दिन रात रेंदू
क,
हे भैजि, ……कख़ा छिन्न।
ब्योडु तिमला पक्यां छिन्न।
ब्याळि ओन्दा…खीर खंदा,
आज भैंसा… थक्यां छिन्न।
ना तू ‘हां’ करछै
ना तू ‘ना’ करछै
अधपगल है गोयू मैं
आघिन पत्त ने के करछै।।
हैसंण उईक कमाल होय,
हिटौंण एकदम गजब
बुलांण में मिसिर घुली
चाहिये रै जानी सब….
ना मिल्न की खुसी होली
ना बिछुडन कु गम
उदास छा हम कन के बतान की कन छीन हम
तेरी औकात नहीं है..
पहाड़न को पाने की क्योंकि
मेरे बाल भी तेरी औकात से लंबे है.