रोज सुबह सूरज आसमान में आकर,
हम सबको नींद से जगाता है।
शाम हुई तो लाली फैलाकर,
अपने घर को चला जाता है।
दिन भर खुद को जला जलाकर,
यह प्रकाश फैलाता है।
कभी नहीं करता आलस्य,
रोज नियम से समय पर आता जाता।
कभी नहीं करता है घमंड,
बादलों के संग भी लुकाछिपी खेलता है।
उसका जीना ही जीना है,
जो काम सभी के आता है।