ढल रही हैं शबनमी रात हलके हलके

ऐसे मैं ना जाओ सनम , वाला

करोए कल के बिस्तर की सलवटों से

मालूम कर लो की कैसी काटी हैं

हमने रात करवट बदल बदल के

“शुभ दिन “

Related Posts

;