“सिर्फ तर्क करने वाला दिमाग एक ऐसे चाक़ू की तरह है

जिसमे सिर्फ ब्लेड है। यह इसका प्रयोग करने वाले को घायल कर देता है।”

-रबीन्द्रनाथ ठाकुर


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