ज़िन्दगी को पूरी तरह से जीने की कला,
भला किसे अच्छे से आती हैं……
कही ना कहीं ज़िन्दगी में,
हर किसी के कोई कमी तो रह जाती हैं….

प्यार का गीत गुनगुनाता हैं हर कोई,
दिल की आवाज़ों का तराना सुनाता हैं हर कोई,
आसमान पर बने इन रिश्तो को निभाता है हर कोई,
फिर भी हर चेहरे पर वो ख़ुशी क्यों नहीं नजर आती हैं…
पूरा प्यार पाने में कुछ तो कमी रह जाती हैं….
हर किसी की ज़िन्दगी में कही ना कही कुछ तो कमी रह जाती हैं….

दिल से जब निकलती हैं कविता…
पूरी ही नजर आती हैं ….
पर कागजों पर बिछते ही
वो क्यों अधूरी सी नजर आती हैं
शब्दों के जाल में भावनाएं उलझ सी जाती हैं
प्यार, किस्सें, कविता…ये सिर्फ दिल को ही तो बहलाती है
अपनी बात समझाने में तो कुछ तो कमी रह जाती हैं

हर किसी की निगाहें मुझे क्यों…….
किसी नयी चीज़ो को तलाशती नजर आती हैं
सब कुछ पा कर भी एक प्यास सी क्यों रह जाती हैं
ज़िन्दगी में कही ना कही कुछ तो कमी रह जाती हैं
सम्पूर्ण जीवन जीने की कला भला किसे आती है….. 

Tagged

Share with others

Related Posts

No related posts found
;