आओ हम सब झूला झूलें
पेंग बढ़ाकर नभ को छूलें

है बहार सावन की आई
देखो श्याम घटा नभ छाई

अब फुहार पड़ती है भाई
ठंडी – ठंडी अति सुखदायी

आओ हम सब झूला झूलें
पेंग बढ़ाकर नभ को छूलें

कुहू – कुहू कर गाने वाली
प्यारी कोयल काली – काली

बड़ी सुरीली भोली – भाली
गाती फिरती है मतवाली

हम सब भी गाकर झूलें
पेंग बढ़ाकर नभ को छूलें

मोर बोलता है उपवन में
मास्त हो रहा है नर्तन में

चातक भी बोला वन में
आओ हम सब झूला झूलें
पेंग बढ़ाकर नभ को छूलें 

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